सुख की खोज I Blog 17 - Divyesh ki Divyvani
सुख की खोज हेल्लो दोस्तों, में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... एक इंसान बगीचे में बेंच पर बैठा था। उसके पास एक बेग थी। मुल्ला नसीरुद्दीन बगीचे में टहलते टहलते उसके पास आये और बोले बहार से आये हुए लगते हो, क्युकी आपको कभी देखा नहीं। वो इंसान बोला, "हा, में दूर एक शहर में रहता हु। मेरे पास सब कुछ है। पैसा है, बहुत बड़ा बंगलो है, प्यारा परिवार है उसके बावजूद मुझे जीवन में दिलचस्पी नहीं रही। इसलिए थोड़े दिनों की छूटी लेकर में सुख की खोज में निकला हु। मुल्ला कुछ बोलने के बजाये उस इंसान की बेग लेकर भागे। वो इंसान भी मुल्ला के पीछे भागा। मुल्ला दौड़ में पक्के थे इसलिए काफी आगे निकल गए। वो इंसान हांफते हुए उनके पीछे दौड़ता रहा। कुछ देर बाद मुल्ला रस्ते के किनारे एक बेंच पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद वो इंसान थका हुआ वह पंहुचा। उसने जल्दी से अपनी बेग लेली। बेग मिलने की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी और दूसरे ही पल उसने गुस्से से मुल्ला से कहा, "मेरी बेग लेकर क्यों भागे?" मुल्ला ने कहा, "आप सुख की खोज में निकले थे ना? तो बे...