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संगत हमेंशा उच्च विचारोवालो की करे I Blog 19 - Divyesh ki Divyvani

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संगत हमेंशा उच्च विचारोवालो की करे हेल्लो दोस्तों, में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... अल्बर्ट आइंस्टाइन की "थियरी ऑफ़ रिलेटिविटी" काफी प्रसिद्ध हुई इस वजह से उन्हें लेक्चर देने के आमंत्रण मिलने लगे। अल्बर्ट आइंस्टाइन हमेंशा अपनी कार लेकर जाते और अपने ड्राइवर को साथ में रखते। लेक्चर के दौरान ड्राइवर पीछे पंक्ति में बैठकर आइंस्टाइन को सुनता। एक दिन ड्राइवरने आइंस्टाइन से कहा, “ आपकी थियरी इतनी सरल है की में भी इस पर प्रवचन कर सकता हु। मैंने इतनी बार इसे सुना है की आपके प्रवचन का हर शब्द मुझे याद रह गया है। ”    तब गुस्सा होने के बजाये आइंस्टाइन खुश हुए की उनकी थियरी इतनी सरल है की विज्ञान का जरा भी ज्ञान ना हो वो लोग भी इसे समज सकते है। उन दिनों मिडिया इतना बड़ा नहीं था इसलिए ज्यादातर लोग आइंस्टाइन को जानते तो थे पर उनके चेहरे से अनजान थे। एक दिन प्रवचनमें जाते वक्त आइंस्टाइनने अपने ड्राइवर से कहा की आज मेरी जगह तुम प्रवचन दोगे। ड्राइवरने आइंस्टाइन जैसे कपडे पहन लिए और आइंस्टाइनने ड्राइवर जैसे। अब दोनों सेमीनार हॉल में गए।

बिजनेस में बेकार के खर्चो से कैसे बचे I Blog 18 - Divyesh ki Divyvani

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 बिजनेस में बेकार के खर्चो से कैसे बचे हेल्लो दोस्तों, में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... जंगल में शेरने फैक्ट्री शुरू की उसमे वर्कर में ५ चीटिया थी। जो समय पर आकर अपना काम पूरी ईमानदारी से करती थी। शेर का बिजनेस अच्छा चल रहा था। शेर को लगा पांच चीटिया जो इतना अच्छा काम करती है तो उसको किसी एक्सपर्ट के अंडर में रखु तो और अच्छा काम होगा। शेरने एक भवरे को प्रोडकशन मैनेजर के तौर पर रख लिया उसे इस काम का अनुभव था और वो रिपोर्ट बनाने में भी एक्सपर्ट था। भवरे ने शेर से कहा सबसे पहले हमें चीटियों का वर्क शेड्यूल बनाना पड़ेगा फिर उसका रिकॉर्ड रखने के लिए मुझे एक सेक्रेटरी की जरुरत होगी। शेरने मघुमखी को सेक्रेटरी के तौर पे रख लिया। शेर को मधुमखी का काम अच्छा लगा और उसने कहा की चीटियों का कम्पलीट वर्क रिपोर्ट और प्रोग्रेस ग्राफ मेरे सामने प्रस्तुत करो। मधुमखीने कहा वह तो ठीक है लेकिन इसके लिए मुझे एक कंप्यूटर, प्रिंटर और एक प्रोजेक्टर की जरुरत होगी। शेरने एक कंप्यूटर डिपार्टमेंट ही अलग बना दिया और उसके हेड के तौर पर उसने बिल्ली को नियुक्त कर दि

सुख की खोज I Blog 17 - Divyesh ki Divyvani

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 सुख की खोज हेल्लो दोस्तों, में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... एक इंसान बगीचे में बेंच पर बैठा था। उसके पास एक बेग थी। मुल्ला नसीरुद्दीन बगीचे में टहलते टहलते उसके पास आये और बोले बहार से आये हुए लगते हो, क्युकी आपको कभी देखा नहीं। वो इंसान बोला, "हा, में दूर एक शहर में रहता हु। मेरे पास सब कुछ है। पैसा है, बहुत बड़ा बंगलो है, प्यारा परिवार है उसके बावजूद मुझे जीवन में दिलचस्पी नहीं रही। इसलिए थोड़े दिनों की छूटी लेकर में सुख की खोज में निकला हु। मुल्ला कुछ बोलने के बजाये उस इंसान की बेग लेकर भागे। वो इंसान भी मुल्ला के पीछे भागा। मुल्ला दौड़ में पक्के थे इसलिए काफी आगे निकल गए। वो इंसान हांफते हुए उनके पीछे दौड़ता रहा। कुछ देर बाद मुल्ला रस्ते के किनारे एक बेंच पर बैठ गए। थोड़ी देर बाद वो इंसान थका हुआ वह पंहुचा। उसने जल्दी से अपनी बेग लेली। बेग मिलने की खुशी उसके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी और दूसरे ही पल उसने गुस्से से मुल्ला से कहा, "मेरी बेग लेकर क्यों भागे?" मुल्ला ने कहा, "आप सुख की खोज में निकले थे ना? तो बे

जजमेन्टल न बने I Blog 16 - Divyesh ki Divyvani

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 जजमेन्टल न बने हेल्लो दोस्तों, स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और आज के एपिसोड में हम बात करेंगे की हमें क्यों जजमेंटल नहीं होना चाहिए। मान लीजिये आप पसीने से भीगे हुए है, आपको बहुत प्यास लगी है पर कही पानी मिलने की सम्भावना नहीं है और आप एक पेड़ के निचे थकन मिटाने थोड़ी देर रुकते है। तभी सामने एक मकान से पहले माले से एक व्यक्ति आपको देखता है और आपकी हालत देखकर वो व्यक्ति आपको इशारे से पानी चाहिए ऐसा पूछता है। अब आपको वह व्यक्ति कैसा लगेगा? ये आपका फर्स्ट इम्प्रेशन है। वह व्यक्ति घर के नीचे आने का इशारा करके १५ मिनिट होने के बावजूद दरवाजा नहीं खोलता। अब आपकी उस व्यक्ति के बारे में क्या राय होगी? ये आपकी सेकन्ड इम्प्रेशन हुई। थोड़ी देर बाद दरवाजा खोलके वह व्यक्ति ऐसा कहे की "देरी के लिए माफ़ कीजिये पर आपकी हालत देखकर मुझे पानी से बेहतर निम्बू शरबत देना योग्य लगा! इस लिए थोड़ी देर हो गई!" अब आपकी उस व्यक्ति के बारे में क्या राय है? याद रखिये अभी आपको पानी या शरबत कुछ मिला नहीं है उसके बावजूद आपने ३ राय बना ली है!!! अब आ

बोया हुआ रिश्ता - कर भला तो हो भला I Blog 15 - Divyesh ki Divyvani

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बोया हुआ रिश्ता - कर भला तो हो भला हेल्लो दोस्तों, स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... आज के ब्लॉग में हम जानेंगे “ कर भला तो हो भला ” का क्या मतलब होता है । कंडक्टर भाईसाहब, मेरी बेटी बस में अकेली है। वो अपने मामा के घर जा रही है। आप उसका जरा ख्याल रखना। वासणा आये तो उतार देना और अगर सो गई हो तो उसे जगा देना।   पंद्रह साल पहले की ये घटना है। अगस्त का महीना था बारिश का मौसम था। चरोतर के एक गांव के सुखी और संपन्न पिता अपनी १३ साल की बेटी जयश्री को अहमदाबाद जा रही एस. टी. बस में बैठाते वक्त बस कंडक्टर को विनंती कर रहे थे। लड़की जिस सीट पर बैठी उसके बाजु में अहमदाबाद के मुकेशभाई बैठे थे। वह चुपचाप यह दृश्य देख रहे थे और सुन रहे थे। जयश्री के पिता रमणभाई बस निकली तब तक वह खड़े रहे। खिड़की में से सलाह देते रहे, अगर खेत का काम ना होता तो में तेरे साथ ही आया होता। ऐसे तुजे अकेले भेजता ही नहीं। तू भी बहुत जिद्दी है, "मामा के घर जाना है, भाई को राखी बांधनी है बस एक ही रट लगा रखी थी तूने भी। वर्ना आज तक तुजे अकेले कही नहीं जाने दिया। बाप की चिंता अब भी चालू ही थी, "जयश

सेल्स में सफलता कैसे पाए? I Blog 14 - Divyesh ki Divyvani

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  सेल्स में सफलता कैसे पाए? हेल्लो दोस्तों, स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और आज के एपिसोड में हम जानेंगे की सेल्स में आप कैसे सफल हो सकते है। जिस उम्र में लोग रिटायर हो चुके होते है उस उम्र में कर्नल सेंडर्स ने कुछ करने का सोचा। ६५ साल की उम्र में कर्नल सेंडर्स के पास एक पुरानी कार और १०० डॉलर थे। उन्होंने इतने से ही कुछ करने का सोचा। उन्हें माँ की रेसिपी याद थी उन्होंने उसी रेसिपी को ट्राई करने का सोचा। क्या आप जानते है उनकी बनाई गई रेसिपी को बेचने में उन्हें कितनी मेहनत करनी पड़ी? उन्होंने १००० दरवाजे खटखटाये तब जाके उन्हें पहला खरीददार मिला। आज यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी रेस्तरां श्रृंखला है। उनका बिजनेस १५० देशोमें २२००० से भी ज्यादा स्टोर्स है और दुनियाभर में के.ऍफ़.सी. के नाम से मशहूर है। हम में ज्यादातर लोग कुछ कोशिशों के बाद ही हार मान लेते है और कहते है की हमसे जो हो सका हमने किया। कई सेल्समेन फरियाद करते है की बहुत प्रयत्न करने के बाद भी कोई सेल्स नहीं हो रही या उन्हें सफलता नहीं मिलती है। अगर आपको लगता है की आपको सेल्स क

असफलता से सफलता की और I Blog 13 - Divyesh ki Divyvani

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  असफलता से सफलता की और स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में... में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और आज हम जानेंगे "असफलता से सफलता की और" की एक सच्ची कहानी तो आइये चलते है आज की कहानी की और... एक इंसान २१ साल की उम्र में बिजनेस में असफल हुआ, २२ साल की उम्र में एक चुनाव में खड़ा हुआ लेकिन हार गया, २४ साल की उम्र में फिर से एक बिजनेस करने की कोशिश की लेकिन फिर असफल हुआ, २६ साल की उम्र में उसकी पत्नी गुजर गई, २७ साल की उम्र मे मानसिक संतुलन खो बैठा, ३४ साल की उम्र में फिर से चुनाव हर गया, ४५ साल की उम्र में सेनेट का चुनाव हार गया, ४७ साल की उम्र में उप-राष्ट्रपति बनने असफल हुआ, ४९ साल की उम्र में फिर से सेनेट का चुनाव हर गया और ५२ साल की उम्र में वो इंसान अमरीका का राष्ट्रपति बना। यह इंसान और कोई नहीं अब्राहम लिंकन थे। जो की अमरीका के सर्व श्रेष्ठ राष्ट्रपति में से एक थे। क्या आप उन्हें असफल मानेंगे? जीवन में हम सभी को कभी न कभी असफलता का सामना करना पड़ता है। अगर आप किसी काम में असफल हुए है तो इसका मतलब ये नहीं है की आप कभी सफल नहीं हो सकते। इसका सिर्फ एक ही मतलब है की

जॉब या बिज़नेस में सफलता कैसे पाए? I Blog 12 - Divyesh ki Divyvani

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 जॉब या बिज़नेस में सफलता कैसे पाए? आज के ब्लॉग में हम जानेंगे की सेल्स में आप कैसे सफल हो सकते है। एक गांव में मंदिर बन रहा था। उसमे तीन लोग ईंटो की चुनाई का काम कर रहे थे। एक मुसाफिर वहा से गुजर रहा था उसने एक कारीगर से पूछा की तुम क्या कर रहे हो? उस आदमीने गुस्से से मुसाफिर को जवाब दिया की देख नहीं रहे में रोजी कमा रहा हूँ। फिर उस मुसाफिरने दूसरे कारीगर से पूछा की तुम क्या रहे हो उसने कहा में अपना काम कर रहा हूँ। फिर उस मुसाफिरने तीसरे कारीगर से पूछा की तुम क्या रहे हो तो उसने कहा में एक खूबसूरत मंदिर का निर्माण कर रहा हूँ। दोस्तों तीनो आदमी एक ही काम कर रहे थे पर उनका जवाब अलग अलग था, उनके सोचने का तरीका अलग अलग था। और यही सोच या नजरिया ही तय करता है आपकी सफलता या निष्फलता। एक ही ऑफिस में एक सी पोस्ट पर काम करने वाले लोग में से कुछ लोग बहुत जल्दी तरक्की कर लेते है और कुछ लोग   बरसो तक उसी पोस्ट पर काम करते रहते है उसमे क्या फर्क है? क्या उनके काम में कोई फर्क है? नहीं फर्क है उनके काम करने के तरीके का और के नजरिये का। तो दोस्तों इस कहानी से हम सीख सकते है की अगर हम सफल होना चा