बिजनेस में बेकार के खर्चो से कैसे बचे I Blog 18 - Divyesh ki Divyvani

 बिजनेस में बेकार के खर्चो से कैसे बचे



हेल्लो दोस्तों, में हुँ आपका दोस्त दिव्येश एम. डाभी और स्वागत है आपका दिव्येश की दिव्यवाणी में...

जंगल में शेरने फैक्ट्री शुरू की उसमे वर्कर में ५ चीटिया थी। जो समय पर आकर अपना काम पूरी ईमानदारी से करती थी। शेर का बिजनेस अच्छा चल रहा था। शेर को लगा पांच चीटिया जो इतना अच्छा काम करती है तो उसको किसी एक्सपर्ट के अंडर में रखु तो और अच्छा काम होगा। शेरने एक भवरे को प्रोडकशन मैनेजर के तौर पर रख लिया उसे इस काम का अनुभव था और वो रिपोर्ट बनाने में भी एक्सपर्ट था।

भवरे ने शेर से कहा सबसे पहले हमें चीटियों का वर्क शेड्यूल बनाना पड़ेगा फिर उसका रिकॉर्ड रखने के लिए मुझे एक सेक्रेटरी की जरुरत होगी। शेरने मघुमखी को सेक्रेटरी के तौर पे रख लिया। शेर को मधुमखी का काम अच्छा लगा और उसने कहा की चीटियों का कम्पलीट वर्क रिपोर्ट और प्रोग्रेस ग्राफ मेरे सामने प्रस्तुत करो।

मधुमखीने कहा वह तो ठीक है लेकिन इसके लिए मुझे एक कंप्यूटर, प्रिंटर और एक प्रोजेक्टर की जरुरत होगी। शेरने एक कंप्यूटर डिपार्टमेंट ही अलग बना दिया और उसके हेड के तौर पर उसने बिल्ली को नियुक्त कर दिया।

अब चींटिया काम से ज्यादा रिपोर्ट पर ध्यान देने लगी। उसकी वजह से काम और प्रोडक्शन कम होता गया।

शेर को लगा की अब किसी टेक्निकल एक्सपर्ट की जरुरत है। जो सबका ध्यान रखे और सलाह दे सके इसलिए उसने बन्दर को एक्सपर्ट के तौर पर रख लिया। अब इन सब की वजह से चीटिया डर और रिपोर्ट बनाने के टेंशन में अपना काम पूरा नहीं कर पाती थी।

फैक्टरी घाटे में चलने लगी। शेर ने नफे - नुकसान के मास्टर डिग्री वाली लोमड़ी को इसका कारण जानने बुलाया।

तीन महीने बाद लोमड़ी ने रिसर्च कर के शेर को रिपोर्ट दिया की फैक्टरी में वर्करों की संख्या काफी ज्यादा है इसलिए उसे कम करे।

अब शेर सोचने लगा किसे निकाले? फेकटरी में इंटरनल मीटिंग बुलाई गई और सबने मिल के तय किया की चीटिया ठीक से काम नहीं करती है तो उन्हें ही निकाल दिया जाये!!! 

दोस्तों कही आप भी अपनी कंपनी में ऐसी गलती तो नहीं कर रहे है? जब कंपनी बड़ी होती जाती है तब कई बार ऐसी गलती हो जाती है और हम जरुरत से ज्यादा स्टाफ की नियुक्ति कर देते है जो कम्पनी के लिए भविष्य में नुकसान का सौदा बन जाता है। तो जब भी आप को जरुरत हो तभी नए स्टाफ की नियुक्ति करे और जो सच में काम कर रहे है कंपनी की तररकी में मदद कर रहे है वो परेशान ना हो और उन्हें प्रोत्साहन मिले ये जिम्मेदारी भी आपकी है।

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धन्यवाद  

दिव्येश एम डाभी


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