जीवन में कभी कभी खाली होना क्यों जरुरी है? I Blog 2 - Divyesh ki Divyvani

जीवन में कभी कभी खाली होना क्यों जरुरी है?


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एक बहुत ही बड़ा सौदागर था। अलग-अलग देशों में पैसे कमाने के लिए जाया करता था। उसे लोगोने कहा आप नौका में धूमते हो और समंदर में कई बार तूफान आते हैं तो नाव डूब जाने का खतरा रहता है इसलिए आप तैरना सीख लो। सौदागर ने कहा तैरना सीखने के लिए मेरे पास वक्त नहीं है। लोगों ने कहा ज्यादा वक्त की जरूरत नहीं है गांव में एक इंसान है जो आपको सिर्फ 3 दिन में तैरना सिखा देगा। सौदागर ने कहा बात तो ठीक है आपकी लेकिन 3 दिन का वक्त कहां है? 3 दिन में तो मैं हजारों लाखों का बिजनेस कर लेता हूं, कभी फुरसत मिलेगी तो सीख लूंगा। उसके बावजूद लोगों ने कहा कि बहुत जोखिम है और कभी समंदर में तूफान गया तो आप क्या करोगे? सौदागरने कहा दूसरा कोई तरीका हो तो बताओ, 3 दिन का वक्त तो नहीं है मेरे पास। लोगों ने कहा कि कम से कम दो खाली पीप अपने पास रख लीजिए कभी जरूरत पड़े तो आप उसे पकड़ कर तैर सके। सौदागरने दो पीप अपने पास रख लिए कि कभी जरूरत पड़े तो उसे पकड़ कर तैर सके। एक दिन वह घड़ी ही गई समंदर में तूफान शुरू हो गया था और नाव डूबने लगी थी वह चिल्लाया मेरे पीप कहां है दूसरे नाविक समझे कि ठीक है वह अपनी पीप ले कर जाएंगे और सभी नाविक दरिया में कूद पड़े, उन लोगों को तो तैरना आता था। सौदागर अपने पीप के पास गया वहां पर दो खाली पीप थे और दो स्वर्ण मुद्रा से भरे हुए पीप थे जिनको वह लेकर रहा था। उसका मन डगमगाने लगा कि कौन सा पीप लेकर कूदू? सोने से भरे हुए या खाली? उसने सोचा कि खाली पीप लेके क्या फायदा और उसने सोने से भरा हुआ पीप ले लिया और कूद पड़ा आप सोच सकते हैं उस सौदागर का क्या हुआ होगा।

उस दिन सोने से भरी हुई पीप ने उसे बचाया नहीं तो क्या आपको नहीं लगता की आखिरी क्षणों में उसके दिमाग में यह ख्याल आया होगा की अरे पीप मैंने तुझे सोने से भरा है कोई मिट्टी से नहीं। उसके बावजूद भी तुम मुझे डूबा रहा है लेकिन आपको क्या लगता है पीप ने सुना होगा भरे हुए पीप तो सिर्फ डूबना जानते हैं तैरना नहीं। सौदागर को मौका मिला था खाली पीप लेकर कूद जाने का लेकिन वह भरा हुआ पीप लेकर कूद पड़ा। हमें भी आदत सी हो गई है हर क्षण भरे हुए रहने की। हम एक क्षण के लिए भी खाली होने को राजी नहीं है। जीवन के सागर में अगर तैरना है तो हमें खाली होना सीखना होगा। लेकिन हम सब खुद को ज्यादा से ज्यादा भरने की कोशिश में ही लगे हुए हैं। किसी को धन दौलत भरनी है किसी को शोहरत, किसी को सोना भरना है किसी को हीरे ज़वेरत। लेकिन हम भूल जाते हैं इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस चीज से भरे हुए हैं और भरी हुई चीज हमेशा डूब जाती है। हमने क्या भर लिया है अपने अंदर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता हम सब बस डूबने की तैयारी में ही लगे हुए है। जिंदगी में कभी कभी खाली होना भी जरुरी है लेकिन हम अपनी आदत से मजबूर भरे हुए ही रहना चाहते है।

किस तरह से हम अपने आपको खाली करे? किस तरह हम तैरने के लिए समर्थ होंगे? किस तरह हम अपने जीवन की नाव को किनारे तक पहुंचाए? इसका एक उपाय है।

जिंदगी में कभी कभी ठहरना भी जरुरी है। लेकिन हम हर वक़्त दौड़ते ही रहते है। कभी कभी रुक कर ये देख लेना चाहिए की क्या हम सही रस्ते पर चल रहे है? कभी कभी हमें अपने आप से पूछना चाहिए क्या इसी रस्ते पर चल कर हम अपनी मंज़िल को पा सकते है? अगर आप को जवाब मिलता है है तो फिर आगे बढिये और अगर आपको जवाब मिलता है ना तो रुकिए और सोचिये कहा गलती हो रही है। उसे सुधारिये और फिर आगे बढिये अपनी मंज़िल की और अपने सपनो की और। 

आशा करता हूं कि आपको यह ब्लॉग अच्छा लगा होगा और आपके जीवन में बदलाव लाने में उपयोगी होगा। इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगों को फॉरवर्ड कीजिए ताकि और किसी की जिंदगी में भी बदलाव आ सके। ऐसे ही और ब्लॉग को पढ़ने ने के लिए सब्सक्राइब करें हमारा चैनल दिव्येश एम डाभी और पढ़ते रहिए दिव्येश की दिव्य वाणी। 

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